बिशन सिंह बेदी; 23 अक्टूबर, 2023 को, भारत ने अपने क्रिकेट के दिग्गजों में से एक, बिशन सिंह बेदी के निधन पर शोक व्यक्त किया, जिनका 77 वर्ष की आयु में निधन हो गया। बिशन सिंह बेदी सिर्फ एक क्रिकेटर नहीं थे; वह भारत के सबसे सफल बाएं हाथ के स्पिनरों में से एक थे, और उनके उल्लेखनीय करियर ने क्रिकेट की दुनिया पर एक अमिट छाप छोड़ी। हम बिशन सिंह बेदी के शानदार करियर के दौरान उनके उल्लेखनीय रिकॉर्ड और उपलब्धियों पर करीब से नज़र डालेंगे।
स्वर्णिम पीढ़ी का एक हिस्सा
बिशन सिंह बेदी भारतीय स्पिन गेंदबाजी की स्वर्णिम पीढ़ी का एक अभिन्न अंग थे। उन्होंने ऑफ स्पिनर इरापल्ली प्रसन्ना और श्रीनिवास वेंकटराघवन और लेग स्पिनर भागवत चंद्रशेखर के साथ स्पिनरों की एक मजबूत चौकड़ी बनाई। इस चौकड़ी ने 1966 से 1978 के बीच भारत की गेंदबाजी लाइनअप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
![Bishan Singh Bedi: India's Premier Left-Arm Spinner's Record-breaking Legacy बिशन सिंह बेदी: भारत के प्रमुख बाएं हाथ के स्पिनर की रिकॉर्ड तोड़ने वाली विरासत download 38](https://newson.co.in/wp-content/uploads/2023/10/download-38.jpeg)
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बिशन सिंह बेदी का अंतर्राष्ट्रीय करियर
बेदी ने अपनी मंत्रमुग्ध कर देने वाली बाएं हाथ की स्पिन से अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपनी छाप छोड़ी। अपने शानदार करियर में उन्होंने 67 टेस्ट मैच खेले और 266 विकेट लिए। अपने टेस्ट विकेटों में, उन्होंने 14 बार पांच विकेट लेने का कारनामा किया और एक उल्लेखनीय 10 विकेट लेने का कारनामा किया। भारतीय क्रिकेट में बेदी का योगदान केवल टेस्ट क्रिकेट तक ही सीमित नहीं था; उन्होंने 10 एकदिवसीय अंतरराष्ट्रीय मैचों में भी हिस्सा लिया, जहां उन्होंने सात विकेट लेकर अपने कौशल का प्रदर्शन किया।
रिकॉर्ड तोड़ने वाला प्रथम श्रेणी करियर
बिशन सिंह बेदी की सफलता अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट तक ही सीमित नहीं थी। घरेलू क्रिकेट में उन्होंने दिल्ली के लिए खेला और अपने असाधारण कौशल का प्रदर्शन किया। बेदी ने अपना प्रथम श्रेणी करियर आश्चर्यजनक रूप से 1,560 विकेटों के साथ समाप्त किया, जो किसी भी भारतीय क्रिकेटर के लिए एक रिकॉर्ड है। प्रथम श्रेणी क्रिकेट में उनके प्रदर्शन ने क्रिकेट के दिग्गज के रूप में उनकी स्थिति को और मजबूत कर दिया।
यादगार प्रदर्शन
ऑस्ट्रेलिया और न्यूजीलैंड के खिलाफ बेदी का प्रदर्शन विशेष रूप से उल्लेखनीय है। 1969 में, उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ 21 विकेट लिए, जिसमें उनके करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन सिर्फ 98 रन देकर 7 विकेट शामिल था। ये प्रदर्शन भारतीय क्रिकेट इतिहास के इतिहास में बेदी के करियर के सबसे यादगार क्षणों में से कुछ के रूप में अंकित है।
बिशन सिंह बेदी भी उस भारतीय टीम का हिस्सा थे जिसने 1970 के दशक में इंग्लैंड और वेस्टइंडीज में इतिहास रचा था। 1972 और 1976 में इंग्लैंड के भारत दौरे के दौरान उनके 25 विकेटों ने उनके असाधारण कौशल और महत्वपूर्ण श्रृंखलाओं पर उनके प्रभाव को प्रदर्शित किया।
सम्मान और मान्यता
अपने पूरे करियर में, बेदी ने कई सम्मान और पहचान अर्जित की। वह 1990 में न्यूजीलैंड और इंग्लैंड के दौरों के दौरान कुछ समय के लिए भारतीय क्रिकेट टीम के प्रबंधक थे। इसके अलावा, उन्हें 1970 में प्रतिष्ठित पद्म श्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, जो भारतीय क्रिकेट में उनके अपार योगदान का प्रमाण है।
अंतर्राष्ट्रीय और काउंटी क्रिकेट
बिशन सिंह बेदी का प्रभाव भारत की सीमाओं से परे तक फैला हुआ था। उन्होंने कई वर्षों तक इंग्लिश काउंटी क्रिकेट में नॉर्थम्पटनशायर का प्रतिनिधित्व किया, जहां वह अंतरराष्ट्रीय क्षेत्र में अपनी धाक जमाए रहे।
निष्कर्ष बिशन सिंह बेदी के निधन से भारतीय क्रिकेट में एक युग का अंत हो गया। उनका असाधारण करियर, रिकॉर्ड तोड़ने वाली उपलब्धियां और उनके द्वारा छोड़ी गई विरासत खेल के प्रति उनके कौशल, समर्पण और जुनून का प्रमाण है। उन्हें भारत के सबसे सफल बाएं हाथ के स्पिनरों में से एक और एक सच्चे क्रिकेट दिग्गज के रूप में हमेशा याद किया जाएगा। उनका नाम क्रिकेटरों और प्रशंसकों की पीढ़ियों को समान रूप से प्रेरित करता रहेगा और खेल में उनके योगदान को आने वाले वर्षों तक मनाया जाएगा।